विभाजन के पश्चात शरणार्थी पुनर्वास मंत्रालय द्वारा शरणार्थियों के पुनर्वास हेतु एक आवास कार्यक्रम बनाया गया था

जो 1960 तक चला, जिसके अंतर्गत मुख्यता: उत्तरी भारत में स्थित विभिन्न केन्द्रों में लगभग 5 लाख परिवारों को बसाया गया था।

स्थित विभिन्न केन्द्रों में लगभग 5 लाख परिवारों को बसाया गया था।

मानव के जीवन निर्वाह के लिए आवास बुनियादी जरूरतों में से एक है।

एक साधारण नागरिक के लिए आवास उपलब्ध होने से उसे महत्वपूर्ण आर्थिक सुरक्षा और समाज प्रतिष्ठा मिलती है।

एक बेघर व्यक्ति को आवास उपलब्ध हो जाने से उसके अस्तित्व में सामाजिक परिवर्तन आता है तथा उसके पहचान बनती है और इस प्रकार, वह शीघ्र ही अपने सामाजिक वातावरण से जुड़ जाता है।

इस घोषणा के परिणामस्वरूप ग्रामीण भूमिहीन रोजगार गारंटी कर्यक्रम की एक उप-योजना के रूम में इंदिरा आवास योजना 1985 – 86 में शुरू हुई थी

जो अप्रैल, 1989 से शुरू हुए जवाहर रोजगार योजना की एक की एक उपयोजना के रूप में जारी रही।

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